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Republic Day Special: वीर तुम बढ़े चलो

काव्य ब्लॉग मंच
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यह दिया बुझे नहीं

-वंदना सिंह


घोर अंधकार हो,

चल रही बयार हो,

आज द्वार-द्वार पर यह दिया बुझे नहीं

यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।

शक्ति का दिया हुआ,

शक्ति को दिया हुआ,

भक्ति से दिया हुआ,

यह स्वतंत्रता-दिया,

रुक रही न नाव हो

ज़ोर का बहाव हो,

आज गंग-धार पर यह दिया बुझे नहीं,

यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है।

यह अतीत कल्पना,

यह विनीत प्रार्थना,

यह पुनीत भावना,

यह अनंत साधना,

शांति हो, अशांति हो,

युद्ध, संधि, क्रांति हो,

तीर पर, कछार पर, यह दिया बुझे नहीं,

देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है।

तीन-चार फूल है,

आस-पास धूल है,

बाँस है -बबूल है,

घास के दुकूल है,

वायु भी हिलोर दे,

फूँक दे, चकोर दे,

कब्र पर मज़ार पर, यह दिया बुझे नहीं,

यह किसी शहीद का पुण्य-प्राण दान है।

झूम-झूम बदलियाँ

चूम-चूम बिजलियाँ

आँधियाँ उठा रहीं

हलचलें मचा रहीं

लड़ रहा स्वदेश हो,

यातना विशेष हो,

क्षुद्र जीत-हार पर, यह दिया बुझे नहीं,

यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।

Republic-Day-Images

तिमिर पर कभी तो मिलेगा किनारा

केरल से करगिल तक

-ऋषभ


केरल से करगिल घाटी तक

गौहाटी से चौपाटी तक

सारा देश हमारा

जीना हो तो मरना सीखो

गूँज उठे यह नारा –

केरल से करगिल घाटी तक

सारा देश हमारा,

लगता है ताज़े लोहू पर जमी हुई है काई

लगता है फिर भटक गई है भारत की तरुणाई

काई चीरो ओ रणधीरों!

ओ जननी की भाग्य लकीरों

बलिदानों का पुण्य मुहूरत आता नहीं दुबारा

जीना हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा –

केरल से करगिल घाटी तक

सारा देश हमारा,

घायल अपना ताजमहल है, घायल गंगा मैया

टूट रहे हैं तूफ़ानों में नैया और खिवैया

तुम नैया के पाल बदल दो

तूफ़ानों की चाल बदल दो

हर आँधी का उत्तर हो तुम, तुमने नहीं विचारा

जीना हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा –

केरल से करगिल घाटी तक

सारा देश हमारा,

कहीं तुम्हें परबत लड़वा दे, कहीं लड़ा दे पानी

भाषा के नारों में गुप्त है, मन की मीठी बानी

आग लगा दो इन नारों में

इज़्ज़त आ गई बाज़ारों में

कब जागेंगे सोये सूरज! कब होगा उजियारा

जीना हो तो मरना सीखो, गूँज उठे यह नारा –

केरल से करगिल घाटी तक

सारा देश हमारा

संकट अपना बाल सखा है, इसको कठ लगाओ

क्या बैठे हो न्यारे-न्यारे मिल कर बोझ उठाओ

भाग्य भरोसा कायरता है

कर्मठ देश कहाँ मरता है?

सोचो तुमने इतने दिन में कितनी बार हुँकारा

जीना हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा

केरल से करगिल घाटी तक

सारा देश हमारा

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जननि तेरी जय हो

– अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल


भारत जननि तेरी जय हो विजय हो ।

तू शुद्ध और बुद्ध ज्ञान की आगार,

तेरी विजय सूर्य माता उदय हो ।।

हों ज्ञान सम्पन्न जीवन सुफल होवे,

सन्तान तेरी अखिल प्रेममय हो ।।

आयें पुनः कृष्ण देखें द्शा तेरी,

सरिता सरों में भी बहता प्रणय हो ।।

सावर के संकल्प पूरण करें ईश,

विध्न और बाधा सभी का प्रलय हो ।।

गांधी रहे और तिलक फिर यहां आवें,

अरविंद, लाला महेन्द्र की जय हो ।।

तेरे लिये जेल हो स्वर्ग का द्वार,

बेड़ी की झन-झन बीणा की लय हो ।।

कहता खलल आज हिन्दू-मुसलमान,

सब मिल के गाओं जननि तेरी जय हो ।।

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Republic Day SMS: गणतंत्र दिवस कुछ इस अंदाज के साथ

बढ़े चलो

-द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी


वीर तुम बढ़े चलो

धीर तुम बढ़े चलो

साथ में ध्वजा रहे

बाल दल सजा रहे

ध्वज कभी झुके नहीं

दल कभी रुके नहीं

सामने पहाड़ हो

सिंह की दहाड़ हो

तुम निडर,हटो नहीं

तुम निडर,डटो वहीं

वीर तुम बढ़े चलो

धीर तुम बढ़े चलो

प्रात हो कि रात हो

संग हो न साथ हो

सूर्य से बढ़े चलो

चन्द्र से बढ़े चलो

वीर तुम बढ़े चलो

धीर तुम बढ़े चलो

एक ध्वज लिये हुए

एक प्रण किये हुए

मातृ भूमि के लिये

पितृ भूमि के लिये

वीर तुम बढ़े चलो

धीर तुम बढ़े चलो

अन्न भूमि में भरा

वारि भूमि में भरा

यत्न कर निकाल लो

रत्न भर निकाल लो

वीर तुम बढ़े चलो

धीर तुम बढ़े चलो

Happy Republic Day Wishes : Freedom in the mind

Happy Republic Day : जान है हमारी, हमारा वतन

क्यों हैं इतने बेबस?

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